T-25/8 तुम हो गए ख़ुदा तो ख़ुदा में लगा रहा -नवनीत शर्मा

तुम हो गए ख़ुदा तो ख़ुदा में लगा रहा गर ये ख़ता है ठीक, ख़ता में लगा रहा वो इश्‍क़ की दुकान बढ़ा कर निकल गए नाहक मैं उसके बाद सदा में लगा रहा ढांपा किसे है किसने ये उक़्दा अजीब है पैवंद बन मैं अपनी क़बा में लगा रहा ख़ुद में उतर के जीना…

T-24/33 किसी के ग़म की मार ने बड़ी हसीन मार की-नवनीत शर्मा

किसी के ग़म की मार ने बड़ी हसीन मार की कि चोट खा के गा रही है रूह मुझ सितार की ले देख बन गई न आज ! खाई इक दरार की उजड़ गई वो वादियां जो दिल में थी चिनार की बिछड़ के भी मैं उससे खिलखिला रहा हूं आज भी कि रौनक़ें बनी…

ले के ज़ख़्मे-निहां ग़ज़ल की तरफ़-नवनीत शर्मा

ले के ज़ख़्मे-निहां ग़ज़ल की तरफ़ लौट चलिये मियां ग़ज़ल की तरफ़ आ चलें मेरी जां ग़ज़ल की तरफ़ हैं ज़मीं आस्‍मां ग़ज़ल की तरफ़ तेरी ख़ुश्बू ने दिल पे हाथ रखा लौट आयी ज़बां ग़ज़ल की तरफ़ दिल के मलबे में ढूंढ़ता था जिसे वो हुआ है अयां ग़ज़ल की तरफ़ जिसको छूने का…

T-23/30 माना ये रात उसने बनाई हुई तो है-नवनीत शर्मा

माना ये रात उसने बनाई हुई तो है पर सुब्ह भी उसी की सजाई हुई तो है सीवन उधड़ न जाए यही ख़ौफ़ है मुझे कुछ ख़ाहिशों की ख़ूब सिलाई हुई तो है जो मुझ में रह रहा है उसे उससे मांगना ? गंगा उलट ये मैंने बहाई हुई तो है कट-कट के आंसुओं में…

ढूंढ़ना मुझे

ढूंढ़ना मुझे बावड़ी के किनारे रखे पत्‍थरों के नीचे पीपल को बांधी गई डोर से कुछ दूर खिलते गेंदे की कली में झरने से फूटते पानी के ठीक पीछे या उस कांटेदार पौधे में जिसका दूध हाथों-पैरों के मस्‍से ठीक करता है ढूंढ़ना मुझे पहाड़ी पर खड़े हो कर गाए किसी गीत के बोल के…

हम मिलेंगे

सच कहता हूंमिलूंगा मैंहारमोनियम कीउन श्रुतियों परजिनसे जागता हैसबके भीतर सोया गायक। मिलूंगा मैंउस खास पल मेंजहां बोल को तेजी से दौड़ कर जकड़ लेती हैतबले की थाप या सारंगी के उस आखिरी नोट मेंजो उदास राग का साथ देकरकुछ देर चुप हो जाती है मिलूंगा खंडहरों के उस सन्‍नाटे मेंजहां कोई भी शब्‍द अकेला…

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