तुम हो गए ख़ुदा तो ख़ुदा में लगा रहा गर ये ख़ता है ठीक, ख़ता में लगा रहा वो इश्क़ की दुकान बढ़ा कर निकल गए नाहक मैं उसके बाद सदा में लगा रहा ढांपा किसे है किसने ये उक़्दा अजीब है पैवंद बन मैं अपनी क़बा में लगा रहा ख़ुद में उतर के जीना…
जज्बों की दुनिया
तुम हो गए ख़ुदा तो ख़ुदा में लगा रहा गर ये ख़ता है ठीक, ख़ता में लगा रहा वो इश्क़ की दुकान बढ़ा कर निकल गए नाहक मैं उसके बाद सदा में लगा रहा ढांपा किसे है किसने ये उक़्दा अजीब है पैवंद बन मैं अपनी क़बा में लगा रहा ख़ुद में उतर के जीना…